6 जटाशंकर -उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म. सा.
जटाशंकर का हाथ मशीन में आ गया
था। अस्पताल में भर्ती करने के बाद डाक्टर ने कहा-तुम्हारा यह बायां हाथ काटना पडेगा।
सुनकर जटाशंकर रोने लगा।
डाँक्टर ने उसे सान्त्वना देते
हुए कहा भाई जटाशंकर! तुम इतने दु:खी मत बनो। अच्छा हुआ जो बायां हाथ मशीन में आया।
यदि दाहिना हाथ आ जाता तो तुम बिल्कुल बेकार हो जाते। भगवान् का शुक्र है,जो तुम बच
गये।
जटाशंकर ने रोते रोते कहा डाक्टर
साहब! मशीन में तो मेरा दाहिना हाथ ही आया था। लेकिन मैंने दाहिने हाथ की विशिष्ट उपयोगिता
का क्षण भर में विचार कर पलभर में निर्णय लेते हुए दाहिना हाथ वापस खींच लिया और बांये
हाथ को अन्दर डाल दिया।
सुनकर डाक्टर उसकी मूर्खता पर
मुस्कुराने लगा।
अरे! दायां हाथ निकल ही गया था
तो बायां हाथ डालने की क्या जरूरत थी?
मूर्खता पर भी शेखी बघारने की
आदती बढ़ती जा रही है। चिंतन नहीं कि मैं क्या कर रहा हूं? क्यों कर रहा हूं? परिणाम
क्या होगा?
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